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"माँ पर हाइकु / जेन्नी शबनम" के अवतरणों में अंतर
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तौल सके जो | तौल सके जो | ||
नहीं कोई तराजू | नहीं कोई तराजू | ||
माँ की ममता ! | माँ की ममता ! | ||
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2. | 2. | ||
समझ आई | समझ आई | ||
जब खुद ने पाई | जब खुद ने पाई | ||
माँ की वेदना ! | माँ की वेदना ! | ||
− | |||
3. | 3. | ||
माँ का दुलार | माँ का दुलार | ||
नहीं है कोई मोल | नहीं है कोई मोल | ||
है अनमोल ! | है अनमोल ! | ||
− | |||
4. | 4. | ||
असहाय माँ | असहाय माँ | ||
कह न पाई व्यथा | कह न पाई व्यथा | ||
कोख़ उजड़ी ! | कोख़ उजड़ी ! | ||
− | |||
5. | 5. | ||
जो लुट गई | जो लुट गई | ||
लाड़ में मिट गई | लाड़ में मिट गई | ||
वो होती है माँ ! | वो होती है माँ ! | ||
− | |||
6. | 6. | ||
प्यारी बिटिया, | प्यारी बिटिया, | ||
बन गई वो माँ-सी | बन गई वो माँ-सी | ||
पी-घर गई ! | पी-घर गई ! | ||
− | |||
7. | 7. | ||
पराई हुई | पराई हुई | ||
घर-आँगन सूना | घर-आँगन सूना | ||
माँ की बिटिया ! | माँ की बिटिया ! | ||
− | |||
8. | 8. | ||
सारा हुनर | सारा हुनर | ||
माँ से बिटिया पाए | माँ से बिटिया पाए | ||
घर बसाए ! | घर बसाए ! | ||
− | |||
9. | 9. | ||
माँ का अँचरा | माँ का अँचरा | ||
सारे जहाँ का प्यार | सारे जहाँ का प्यार | ||
घर संसार ! | घर संसार ! | ||
− | |||
10. | 10. | ||
माँ का कहना | माँ का कहना | ||
कभी नहीं टालना | कभी नहीं टालना | ||
माँ होती दुआ ! | माँ होती दुआ ! | ||
− | |||
11. | 11. | ||
माँ की दुनिया | माँ की दुनिया |
18:25, 23 मई 2021 के समय का अवतरण
1.
तौल सके जो
नहीं कोई तराजू
माँ की ममता !
2.
समझ आई
जब खुद ने पाई
माँ की वेदना !
3.
माँ का दुलार
नहीं है कोई मोल
है अनमोल !
4.
असहाय माँ
कह न पाई व्यथा
कोख़ उजड़ी !
5.
जो लुट गई
लाड़ में मिट गई
वो होती है माँ !
6.
प्यारी बिटिया,
बन गई वो माँ-सी
पी-घर गई !
7.
पराई हुई
घर-आँगन सूना
माँ की बिटिया !
8.
सारा हुनर
माँ से बिटिया पाए
घर बसाए !
9.
माँ का अँचरा
सारे जहाँ का प्यार
घर संसार !
10.
माँ का कहना
कभी नहीं टालना
माँ होती दुआ !
11.
माँ की दुनिया
अँगना में बहार
घर-संसार !
(मई 8, 2011)