भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"माता की मृत्यु पर / प्रभाकर माचवे" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=प्रभाकर माचवे | |रचनाकार=प्रभाकर माचवे |
00:44, 25 नवम्बर 2007 का अवतरण
माता ! एक कलख है मन में, अंत समय में देख न पाया
आत्मकीर के उड़ जाने पर बची शून्य पिंजर सी काया ।
और देख कर भी क्या करता? सब वि