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"पुनः चमकेगा दिनकर / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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17:14, 29 अप्रैल 2008 का अवतरण
आज़ादी का दिन मना,
नई ग़ुलामी बीच;
सूखी धरती, सूना अंबर,
मन-आंगन में कीच;
मन-आंगम में कीच,
कमल सारे मुरझाए;
एक-एक कर बुझे दीप,
अंधियारे छाए;
कह क़ैदी कबिराय
न अपना छोटा जी कर;
चीर निशा का वक्ष
पुनः चमकेगा दिनकर।
	
	