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"लाय / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर
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07:13, 14 मई 2014 के समय का अवतरण
हर काची-पाकी
काया रै भांडै
वै लगा दी है-
एक लाय।
उणसूं
वांरै घरां मांय
हो रैयो है
अवस ही चानणो
पण हर काया लागी
उण लाय सूं
राख बणतो जा रैयो है
उण काया मांय
रैवण वाळो मिनख।