भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आपां परजीवी हां / ओम पुरोहित कागद" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम पुरोहित कागद |संग्रह=अंतस री ब...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
आभै मायं बणता
+
म्हे हां तो थां सरीखा
धुंअै रा माडणां
+
थारै जेड़ो डील-डोळ है
भांत भांत रा
+
राम जी री दियोड़ी काया
मिनख री देह सा
+
अर उण रो दियाड़ो
रूई रा फोआ सा
+
थां जेडा़े जी है
और न जाणै के के।
+
 
+
अै निरा चितराम नी है
+
अर ना चिमन्यां रो
+
कळूटो अर भूरो धूंओ।
+
 
+
आप हांसो
+
पण इण बाबत
+
कीं न कीं जाणो।
+
 
+
म्है बताऊं !
+
पण क्यूं बताऊं
+
तद थां खनै भी
+
म्हां जैड़ी आंख है
+
म्हां जेड़ो मांथो
+
अर उण बीचै दिमाग है
+
खुदो-खुद जाणो
+
क्यूं कै थां खनै भी
+
जाणन रो
+
सांगोपांग अधिकार है
+
आप जाणो हो
+
पण जाण‘र
+
अजाण बण्योड़ा
+
क्यूं कै थे
+
सुविधाभोगी हो
+
अर सुविधाभोगी
+
सुविधा रै उपज रो
+
कहानी जाणन री
+
कदै‘ई कोसिस नीं करै
+
थे भी नीं करी।
+
 
+
आप ओ भी जाणो हो
+
कै मीलां मांय
+
भूख भरबतै मानखै रै
+
काळजै मांय लाग्योड़ी लाय
+
ओज्यूं धुधकै
+
अर उण री धूओं
+
मीलां री चिमन्यां
+
आभै मांय पटकै।
+
आभो थारो है सा !
+
थारै मनां रा
+
चितराम कौरै
+
इणी खातर आप
+
मनभांवता मांडणा देखो ।
+
पण आप नै
+
थोड़ो सावचेत रे‘वणो है
+
क्यूं कै मजूर रै काळजै मांय
+
धधकतो धूंओ
+
कदै भी लाय बण सकै
+
बस
+
हवा लावण री देर है।
+
आप ओ भो जाणो हो
+
अर जे नीं भी जाणो
+
तो भी जाणो
+
कै जिण भांत धूंअै रो
+
चितराम बणै
+
उणी भांत
+
लपकती लांय रो भी
+
चितराम बणै
+
 
पण
 
पण
धूंअै रै अर लांय रै चितराम मांय
+
म्हे थां स्यूं दो पांवडा आगै हां
फरत फगत इतो है
+
थे टांगाां अर दांत
कै धूंअै रा चितराम
+
भीचं‘र चालो
बणै अर मिट ज्यावै
+
अर म्हे
पण लाय रा चितराम
+
आंख अर कान मीच‘र।
भख भी लेया करै
+
इणी खातर
भख! भख उणा रा
+
थे लारली पंगती  मांय रे‘वो
जकां रा नाम
+
क्यूं कै
मजूर रै काळजै मांय मंड्योड़ी
+
थारी भींच्योड़ी टांगा
हिटलिस्ट मांय हुवै
+
डग नी भरैे
अर मालकां !
+
भींच्योड़ा दांत
आप रो नाम
+
बात री ढभ नी करै
उण हिटलिस्ट मांय
+
अर ओई साचल कारण है
सब स्यूं सिरै हुवै।
+
कै थारी जिनगी री डोर मंाय
 
+
गांठ पड़गी
 +
जकी समै रै डमरू ऊपर पड़ै
 +
खड़का करै
 +
पण
 +
ले की नीं पड़ै!
 +
दूजी तरफ म्हे
 +
चौड़ा होयोड़ा बगां
 +
धरती म्हारै धुड्कै स्यूं हालै
 +
अर सड़कां
 +
जिनै म्हे कै‘वां
 +
बिना चालै
 +
भलांर्‘इं म्हारी आंख बंद है
 +
म्हे सो क्यूं देखा
 +
भलांर्‘इं म्हारी कान बंद है
 +
म्हे सो क्यूं सुणा
 +
फरक फगत इŸाा है कै
 +
जिŸाो म्हे सुणा बितो सुणा
 +
जिŸाो नीं सुणा बिŸाो नीं सुणा
 +
क्यूं कै म्हारा हाथ सालम है
 +
म्हारा पग सालम है
 +
पण
 +
म्हारा इरादा जालम है
 +
क्यूं कै म्है पै‘र राखी है
 +
ओहदां री खाल
 +
जकी
 +
बे-ओहदां, बेहुदां री
 +
खाल काढै।
 +
जै कोई सालम आदमी
 +
म्हारो ओहदै आळौ
 +
जालम चेहरो देखै
 +
बो म्हानै
 +
म्हारै घर अर दफ्तर मायं
 +
नीं पिछाणै
 +
इणी खातर
 +
म्हे घरा मांय कम
 +
रेस्तरा मांय ज्यादा लांधा
 +
म्हारै अठै
 +
काम
 +
धाम
 +
सब जाम है
 +
लेवण नै अर करण जे कीं है
 +
तो बो पइसो है
 +
बो‘ई म्हारो नाम है
 +
बो‘ई म्हारो काम है
 +
बो‘ई म्हारो दाम है
 +
बो‘ई म्हारो राम है
 +
इणी खातर
 +
थारै अर म्हारै मांय
 +
बुनियादी अंतर है
 +
थारौ कै‘वणो है
 +
कै राम नाम सत है
 +
अर इण पर म्हारो कै‘वणो है
 +
कै इणी खातर
 +
थांरी आ गत है
 +
क्यूं कै आ‘ई बुरी लत है।
 +
साव साच ओ‘ई है
 +
कै जे
 +
लत
 +
गत
 +
सत
 +
पत
 +
थां रो रिपियो है
 +
तो थां रै अठै
 +
सत अर पत पाणी भरसी
 +
नीं तो भायला, लोग
 +
थां जेड़ा डफोळां री
 +
भूखां मरतां नै
 +
कहाणी-कौथ कैसी।
 
इण खातर
 
इण खातर
चेतो मालकां !
+
टैम री टणकार सुण‘र
छांटो दयो काळजां मांय
+
हथियार ना‘ख दे
धधकती लाय उपर
+
नाड़ ना‘ख दे
हाथा जोड़ी करो
+
टांगां अर राफां
थारै इरादा री
+
ढीली नाख दे
फूटरी पांड़ी बाधण आळी
+
चालै जद
मीला री फुंकारती
+
आंधो अर बोळो होय‘र चाल
चितन्या नै देख
+
तनै सो क्यूं दीख सी
करड़ावण धारण आळी
+
सो क्यूं सुणीज सी
थारी मर्योड़ी आत्मा रै आग
+
थांरी नाख्योड़ी नाड़ मांय
अर कै‘वो उण नै
+
आपी करड़ावण आ ज्यासी
कै बा जागै।
+
थारा पग चालसी
नीं तो मालका
+
जाणै आग मांय मैण चालै
उण हांसी नै
+
अर थारा खाली हाथ मांय
कोई नी रोकैला
+
खंाड़ै री सी धार आ ज्यासी
जकी हंसी थारै काळजां मांय
+
पछै थारै सामै
पड़तै धू‘अैनै देख
+
थानै दीख सी
सम हांसैला।
+
झुक्योड़ी गरदनां
 +
जक्यां नै भलां‘ईं थे
 +
कलम करया
 +
भलां‘ईं धार्या।
 +
जे थानै थारो
 +
विगत डरावै
 +
अर थारो
 +
अंतस करावै कानून
 +
कायदा
 +
आंख काढै
 +
तो सारा स्यूं पै‘ली
 +
आपरी आंख मींचल्यो
 +
अर फेर बांध भारियो
 +
विगत रो
 +
गांठड़ी कानून-कायदां री
 +
देख‘र कोई आंधो सो कूओ
 +
बै धड़कै
 +
बै खड़कै
 +
नां‘ख द्यो भारियो अर गंाठड़ी
 +
अर फेर भूलज्याओ
 +
कै कदै‘ई थारी विगत ही
 +
अर थे कानून जीवी हा
 +
याद खाली इत्तोई राखणो है
 +
कै थे परजीवी हो
 +
म्हें परजीवी हां!!
 +
आपां परजीवी हां!!!
 +
अर
 +
सां क्यूं आपणै खातर है
 
</poem>
 
</poem>

13:01, 1 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

म्हे हां तो थां सरीखा
थारै जेड़ो डील-डोळ है
राम जी री दियोड़ी काया
अर उण रो दियाड़ो
थां जेडा़े जी है
पण
म्हे थां स्यूं दो पांवडा आगै हां
थे टांगाां अर दांत
भीचं‘र चालो
अर म्हे
आंख अर कान मीच‘र।
इणी खातर
थे लारली पंगती मांय रे‘वो
क्यूं कै
थारी भींच्योड़ी टांगा
डग नी भरैे
भींच्योड़ा दांत
बात री ढभ नी करै
अर ओई साचल कारण है
कै थारी जिनगी री डोर मंाय
गांठ पड़गी
जकी समै रै डमरू ऊपर पड़ै
खड़का करै
पण
ले की नीं पड़ै!
दूजी तरफ म्हे
चौड़ा होयोड़ा बगां
धरती म्हारै धुड्कै स्यूं हालै
अर सड़कां
जिनै म्हे कै‘वां
बिना चालै
भलांर्‘इं म्हारी आंख बंद है
म्हे सो क्यूं देखा
भलांर्‘इं म्हारी कान बंद है
म्हे सो क्यूं सुणा
फरक फगत इŸाा है कै
जिŸाो म्हे सुणा बितो सुणा
जिŸाो नीं सुणा बिŸाो नीं सुणा
क्यूं कै म्हारा हाथ सालम है
म्हारा पग सालम है
पण
म्हारा इरादा जालम है
क्यूं कै म्है पै‘र राखी है
ओहदां री खाल
जकी
बे-ओहदां, बेहुदां री
खाल काढै।
जै कोई सालम आदमी
म्हारो ओहदै आळौ
जालम चेहरो देखै
बो म्हानै
म्हारै घर अर दफ्तर मायं
नीं पिछाणै
इणी खातर
म्हे घरा मांय कम
रेस्तरा मांय ज्यादा लांधा ।
म्हारै अठै
काम
धाम
सब जाम है
लेवण नै अर करण जे कीं है
तो बो पइसो है
बो‘ई म्हारो नाम है
बो‘ई म्हारो काम है
बो‘ई म्हारो दाम है
बो‘ई म्हारो राम है
इणी खातर
थारै अर म्हारै मांय
बुनियादी अंतर है
थारौ कै‘वणो है
कै राम नाम सत है
अर इण पर म्हारो कै‘वणो है
कै इणी खातर
थांरी आ गत है
क्यूं कै आ‘ई बुरी लत है।
साव साच ओ‘ई है
कै जे
लत
गत
सत
पत
थां रो रिपियो है
तो थां रै अठै
सत अर पत पाणी भरसी
नीं तो भायला, लोग
थां जेड़ा डफोळां री
भूखां मरतां नै
कहाणी-कौथ कैसी।
इण खातर
टैम री टणकार सुण‘र
हथियार ना‘ख दे
नाड़ ना‘ख दे
टांगां अर राफां
ढीली नाख दे
चालै जद
आंधो अर बोळो होय‘र चाल
तनै सो क्यूं दीख सी
सो क्यूं सुणीज सी
थांरी नाख्योड़ी नाड़ मांय
आपी करड़ावण आ ज्यासी
थारा पग चालसी
जाणै आग मांय मैण चालै
अर थारा खाली हाथ मांय
खंाड़ै री सी धार आ ज्यासी
पछै थारै सामै
थानै दीख सी
झुक्योड़ी गरदनां
जक्यां नै भलां‘ईं थे
कलम करया
भलां‘ईं धार्या।
जे थानै थारो
विगत डरावै
अर थारो
अंतस करावै कानून
कायदा
आंख काढै
तो सारा स्यूं पै‘ली
आपरी आंख मींचल्यो
अर फेर बांध भारियो
विगत रो
गांठड़ी कानून-कायदां री
देख‘र कोई आंधो सो कूओ
बै धड़कै
बै खड़कै
नां‘ख द्यो भारियो अर गंाठड़ी
अर फेर भूलज्याओ
कै कदै‘ई थारी विगत ही
अर थे कानून जीवी हा
याद खाली इत्तोई राखणो है
कै थे परजीवी हो
म्हें परजीवी हां!!
आपां परजीवी हां!!!
अर
सां क्यूं आपणै खातर है