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दिया लैक्चर तंबाकू के दोष बताए।
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फिर तो मरना ही अच्छा लगता, जीने से।’
  
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आप व्यर्थ ही हो रहे, परेशान सरकार।  
दस पैकिट सिगरेट डाक्टर गोयल आए <br>
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परेशान सरकार, तर्क है रीता-थोता,  
दिया लैक्चर तंबाकू के दोष बताए। <br>
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फिर तो मरना ही अच्छा लगता, जीने से।’<br><br>
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इसीलिए तो जल्दी मौत नहीं आती है।
 
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00:38, 29 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

मिस्टर भैंसानंद का फूल रहा था पेट,
पीते थे दिन-रात में, दस पैकिट सिगरेट।
दस पैकिट सिगरेट डाक्टर गोयल आए
दिया लैक्चर तंबाकू के दोष बताए।
‘कैंसर हो जाता ज्यादा सिगरेट पीने से,
फिर तो मरना ही अच्छा लगता, जीने से।’

बोले भैंसानंद जी, लेकर एक डकार,
आप व्यर्थ ही हो रहे, परेशान सरकार।
परेशान सरकार, तर्क है रीता-थोता,
सिगरेटों में तंबाकू दस प्रतिशत होता।
बाकी नव्वै प्रतिशत लीद भरी जाती है,
इसीलिए तो जल्दी मौत नहीं आती है।