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ये अनजान नदी की नावें</div>
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धूप की क़िस्में</div>
  
 
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रचनाकार: [[धर्मवीर भारती]]
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रचनाकार: [[राधावल्लभ त्रिपाठी]]
 
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<div style="border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; line-height: 0; margin: 0 auto; min-height: 590px; padding: 20px 20px 20px 20px; white-space: pre;"><div style="float:left; padding:0 25px 0 0">[[चित्र:Kk-poem-border-1.png|link=]]</div>
 
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ये अनजान नदी की नावें
+
धूप की कई क़िस्में होती हैं
जादू के-से पाल
+
गुनगुनी धूप
उड़ाती
+
गुलाबी धूप
आती
+
नम धूप
मंथर चाल।
+
तीखी धूप
 +
बदन सहलाती मुलायम धूप
  
नीलम पर किरनों
+
धूप के कई रंग होते हैं
की साँझी
+
सुनहरी धूप
एक न डोरी
+
हल्दी के रंग की पीली धूप
एक न माँझी ,
+
पेड़ों से छन कर आती हरी धूप
फिर भी लाद निरन्तर लाती
+
सेंदुर और प्रवाल!
+
  
कुछ समीप की
+
सबसे अच्छी धूप --
कुछ सुदूर की,
+
हाड़ कँपाता जाड़ा झेलते
कुछ चन्दन की
+
ग़रीब का तन
कुछ कपूर की,
+
गरमाने के लिए
कुछ में गेरू, कुछ में रेशम
+
घने कोहरे को भेद कर
कुछ में केवल जाल।
+
बाहर आने को आकुल धूप...
 
+
ये अनजान नदी की नावें
+
जादू के-से पाल
+
उड़ाती
+
आती
+
मंथर चाल ।
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13:34, 7 नवम्बर 2014 का अवतरण

धूप की क़िस्में
Kk-poem-border-1.png

धूप की कई क़िस्में होती हैं गुनगुनी धूप गुलाबी धूप नम धूप तीखी धूप बदन सहलाती मुलायम धूप

धूप के कई रंग होते हैं सुनहरी धूप हल्दी के रंग की पीली धूप पेड़ों से छन कर आती हरी धूप

सबसे अच्छी धूप -- हाड़ कँपाता जाड़ा झेलते ग़रीब का तन गरमाने के लिए घने कोहरे को भेद कर बाहर आने को आकुल धूप...