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साधु न चले जमात / कुमार मुकुल

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उूंटों {{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार मुकुल|अनुवादक=|संग्रह=परिदृश्य के भीतर / कुमार मुकुल}}{{KKCatKavita}}<poem>ऊँटों पर अन्न की बोरियां लादे
जमात में आए हैं साधु
आओ बेटा देखों उूंट साधु देखो
1966
</poem>
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