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"छूँछे घड़े / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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::बाट के टूटे | ::बाट के टूटे | ||
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हाथ गहे के | हाथ गहे के | ||
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अंक लगे के | अंक लगे के | ||
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सपने रीते | सपने रीते | ||
− | + | '''रचनाकाल: ०६-०३-१९६५''' | |
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19:18, 26 अक्टूबर 2010 का अवतरण
आए और चले गए सुखशाई दिन छूकर मुझे देकर दुखदाई अंधकार भरमार
छूँछे घड़े
बाट के टूटे
ऊँचे नहीं--
पड़े हैं नीचे
कभी जिन्होंने
पौधे सींचे
अब
मन चीते
हाथ गहे के
वे दिन बीते
अंक लगे के
शीस चढ़े के
सपने रीते
रचनाकाल: ०६-०३-१९६५