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सब के लिए समर्पण सब कुछ
 
सब के लिए समर्पण सब कुछ

09:22, 28 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण

सब के लिए समर्पण सब कुछ

अपना अहं, पुरातन, नूतन,

जीवन के दिन रात प्रहर क्षण,

आलिंगन, आकर्षण, चुम्बन,

सामूहिक उन्नति के आगे

सामूहिक अष्टांग समर्पण,

अपनी-अपनी भिन्न इकाई का

अब कोई मूल्य न दर्शन ।