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"बटुआ / येव्गेनी येव्तुशेंको" के अवतरणों में अंतर

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भगवान करे, अन्धों को आँखें मिल जाएँ
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मैं बटुआ हूँ
और कुबड़ों की कमर भी सीधी हो जाए
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भरी दोपहरी
भगवान करे, ईसा बनूँ मैं थोड़ा-सा
+
पड़ा हूँ सड़क पर अकेला
पर सूली पर चढ़ना मुझे ज़रा न भाए
+
क्या आप लोगों को दिखाई नहीं देता मैं
  
भगवान करे, सत्ता के चक्कर में नहीं पड़ूँ
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आपके पैर ठोकर मारते हैं मुझे
और दिखावे के लिए हीरो भी मैं नहीं बनूँ
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और गुज़र जाते हैं मेरे निकट से
ख़ूब धनवान बनूँ, पर चोरी नहीं करूँ
+
क्या संभव है यह कि ख़ुद से भी नहीं डरूँ?
+
  
भगवान करे, बनूँ मैं ऐसी मीठी रोटी
+
आप बेवकूफ़ हैं क्या
जिसे न खा पाए गुट कोई और न गोटी
+
क्या आँखें नहीं हैं आपके
बनूँ न मैं बलि का बकरा कभी, न कसाई
+
बटन हैं
न मालिक बनूँ, न भिखारी कभी, मेरे सांई
+
आपके चलने से जो धूल उड़ रही है
 +
आपकी नज़रों से बचा रही है मुझे
 +
जैसे ही दिखाई पड़ूँगा मैं
 +
वह सब कुछ आपका होगा
 +
जो मेरे भीतर छिपा है
  
भगवान करे, जीवन में जब भी बदलाव हो
+
मेरे मालिक को ढूँढ़ने की ज़रूरत नहीं
जब हो कोई लड़ाई, मेरे न कोई घाव हो
+
मैंने स्वयं ही गिराया है ख़ुद को धरती पर
भगवान करे, मेरा कई देशों से लगाव हो
+
यह मत सोचिए कि मज़ाक है यह
अपना देश न छोडूँ, न ऐसा कोई दबाव हो
+
जैसे ही झुकेंगे आप मुझे उठाने
 +
कोई धागा खींच लेगा
 +
और हँसेंगे बच्चे आपके ऊपर
  
भगवान करे, प्यार करे मुझे मेरा देश
+
कि देखो, कितना मूर्ख बनाया
ठोकर मारकर फेंक न दे मुझे कहीं विदेश
+
आप डरें नहीं
भगवान करे, पत्नी भी मेरी प्यार करे तब
+
कि स्त्रियाँ खड़ी होंगी खिड़की पर
हो जाऊँ जब भिखारी और बदले मेरा वेष
+
आपको झुकते देख मुस्कराएँगी वे
 +
और आपको शर्म से लाल होना पड़ेगा
  
भगवान करे, झूठों का मुँह बंद हो जाए
+
नहीं, मैं धोखा नहीं हूँ अँधेरे का
बच्चे की चीखों में प्रभु का स्वर दे सुनाई
+
वास्तविकता हूँ
चाहे रूप पुरुष का भर लें या स्त्राी का
+
कृपया रुकिए एक क्षण को
भगवान करे, मनुष्य में ईसा मुझे दें दिखाई
+
उठाइए मुझे
 +
और देखिए कि मेरे भीतर क्या है
  
सलीब नहीं उसका प्रतीक हम पहने हैं गले में
+
मैं नाराज़ हूँ आपसे
और झुकते हैं ऐसे जैसे झुके कोई व्यक्ति ग़रीब
+
और डरता हूँ सिर्फ़ इस बात से
भगवान करे, हम नहीं नकारें सब कुछ को
+
कि अभी, बिल्कुल अभी
विश्वास करें और ख़ुदा रहे हम सब के क़रीब
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इस भरी दोपहरी में
 
+
मुझे देख लेगा कोई अज़नबी
भगवान करे, सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ
+
वह व्यक्ति नहीं, जिसकी मुझे प्रतीक्षा है
सबको मिले धरती पर ताकि न कोई नाराज़ हो
+
बल्कि वह, जिसे मेरी ज़रूरत नहीं
भगवान करे, सब कुछ मिले हमें उतना-उतना
+
वह झुकेगा और मुझे उठा लेगा
जितना पाकर सिर नहीं हमारा शर्मसार हो
+
 
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23:04, 30 मार्च 2015 के समय का अवतरण

मैं बटुआ हूँ
भरी दोपहरी
पड़ा हूँ सड़क पर अकेला
क्या आप लोगों को दिखाई नहीं देता मैं

आपके पैर ठोकर मारते हैं मुझे
और गुज़र जाते हैं मेरे निकट से

आप बेवकूफ़ हैं क्या
क्या आँखें नहीं हैं आपके
बटन हैं
आपके चलने से जो धूल उड़ रही है
आपकी नज़रों से बचा रही है मुझे
जैसे ही दिखाई पड़ूँगा मैं
वह सब कुछ आपका होगा
जो मेरे भीतर छिपा है

मेरे मालिक को ढूँढ़ने की ज़रूरत नहीं
मैंने स्वयं ही गिराया है ख़ुद को धरती पर
यह मत सोचिए कि मज़ाक है यह
जैसे ही झुकेंगे आप मुझे उठाने
कोई धागा खींच लेगा
और हँसेंगे बच्चे आपके ऊपर

कि देखो, कितना मूर्ख बनाया
आप डरें नहीं
कि स्त्रियाँ खड़ी होंगी खिड़की पर
आपको झुकते देख मुस्कराएँगी वे
और आपको शर्म से लाल होना पड़ेगा

नहीं, मैं धोखा नहीं हूँ अँधेरे का
वास्तविकता हूँ
कृपया रुकिए एक क्षण को
उठाइए मुझे
और देखिए कि मेरे भीतर क्या है

मैं नाराज़ हूँ आपसे
और डरता हूँ सिर्फ़ इस बात से
कि अभी, बिल्कुल अभी
इस भरी दोपहरी में
मुझे देख लेगा कोई अज़नबी
वह व्यक्ति नहीं, जिसकी मुझे प्रतीक्षा है
बल्कि वह, जिसे मेरी ज़रूरत नहीं
वह झुकेगा और मुझे उठा लेगा