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"समय क्षण-भर थमा / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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− | मद्धिम लालिमा ढरकी | + | मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित। |
तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा | तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा | ||
− | फूट तारे ने कहा : रे समय, | + | फूट तारे ने कहा: रे समय, |
− | ::तू क्या थक गया ? | + | ::तू क्या थक गया? |
रात का संगीत फिर | रात का संगीत फिर | ||
− | तिरने लगा आकाश | + | तिरने लगा आकाश में। |
09:39, 17 मार्च 2008 का अवतरण
समय क्षण-भर थमा सा:
फिर तोल डैने
उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर:
मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित।
तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा
फूट तारे ने कहा: रे समय,
- तू क्या थक गया?
रात का संगीत फिर
तिरने लगा आकाश में।