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"गुल-लालः / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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− | फिर साँझ के संग | + | फिर साँझ के संग सकुचाएगा |
और (अगले दिन) फिर एक बार खिलेगा | और (अगले दिन) फिर एक बार खिलेगा | ||
− | फिर साँझ को मुंद | + | फिर साँझ को मुंद जाएगा। |
और फिर एक बार उमंगेगा | और फिर एक बार उमंगेगा | ||
− | तब कुम्हलाता हुआ काला पड़ | + | तब कुम्हलाता हुआ काला पड़ जायेगा। |
− | पर | + | पर मैं—वह भरा हुआ दिल— |
− | क्या मुझे फिर कभी खिलना है ? | + | क्या मुझे फिर कभी खिलना है? |
जिस में (यदि) हँसना है | जिस में (यदि) हँसना है | ||
− | वह भोर ही क्या फिर आयेगा ? | + | वह भोर ही क्या फिर आयेगा? |
18:08, 30 मार्च 2008 का अवतरण
लालः के इस
भरे हुए दिल-से पके लाल फूल को देखो
जो भोर के साथ विकसेगा
फिर साँझ के संग सकुचाएगा
और (अगले दिन) फिर एक बार खिलेगा
फिर साँझ को मुंद जाएगा।
और फिर एक बार उमंगेगा
तब कुम्हलाता हुआ काला पड़ जायेगा।
पर मैं—वह भरा हुआ दिल—
क्या मुझे फिर कभी खिलना है?
जिस में (यदि) हँसना है
वह भोर ही क्या फिर आयेगा?