भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अपने खेत में / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नागार्जुन |संग्रह= }} '''यहाँ पर कविता का कुछ अंश है | अगर ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
'''यहाँ पर कविता का कुछ अंश है | अगर आप के पास सम्पूर्ण कविता है तो कृपया उसे जोड़ दे |''' | '''यहाँ पर कविता का कुछ अंश है | अगर आप के पास सम्पूर्ण कविता है तो कृपया उसे जोड़ दे |''' | ||
− | + | <poem> | |
− | अपने खेत में हल चला रहा हूँ | + | अपने खेत में हल चला रहा हूँ |
− | इन दिनों बुआई चल रही है | + | इन दिनों बुआई चल रही है |
− | इर्द-गिर्द की घटनाएँ ही | + | इर्द-गिर्द की घटनाएँ ही |
− | मेरे लिए बीज जुटाती हैं | + | मेरे लिए बीज जुटाती हैं |
− | हाँ, बीज में घुन लगा हो तो | + | हाँ, बीज में घुन लगा हो तो |
− | अंकुर कैसे निकलेंगे! | + | अंकुर कैसे निकलेंगे! |
− | जाहिर है | + | जाहिर है |
− | बाजारू बीजों की | + | बाजारू बीजों की |
− | निर्मम छँटाई करूँगा | + | निर्मम छँटाई करूँगा |
− | खाद और उर्वरक और | + | खाद और उर्वरक और |
− | सिंचाई के साधनों में भी | + | सिंचाई के साधनों में भी |
− | पहले से जियादा ही | + | पहले से जियादा ही |
− | चौकसी बरतनी है | + | चौकसी बरतनी है |
− | मकबूल फिदा हुसैन की | + | मकबूल फिदा हुसैन की |
− | चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक | + | चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक |
− | हमारी खेती को चौपट | + | हमारी खेती को चौपट |
− | कर देगी! | + | कर देगी! |
− | जी, आप | + | जी, आप |
− | अपने रूमाल में | + | अपने रूमाल में |
गाँठ बाँध लो, बिल्कुल!! | गाँठ बाँध लो, बिल्कुल!! | ||
+ | </poem> |
22:02, 24 अक्टूबर 2009 का अवतरण
यहाँ पर कविता का कुछ अंश है | अगर आप के पास सम्पूर्ण कविता है तो कृपया उसे जोड़ दे |
अपने खेत में हल चला रहा हूँ
इन दिनों बुआई चल रही है
इर्द-गिर्द की घटनाएँ ही
मेरे लिए बीज जुटाती हैं
हाँ, बीज में घुन लगा हो तो
अंकुर कैसे निकलेंगे!
जाहिर है
बाजारू बीजों की
निर्मम छँटाई करूँगा
खाद और उर्वरक और
सिंचाई के साधनों में भी
पहले से जियादा ही
चौकसी बरतनी है
मकबूल फिदा हुसैन की
चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक
हमारी खेती को चौपट
कर देगी!
जी, आप
अपने रूमाल में
गाँठ बाँध लो, बिल्कुल!!