भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बतूता का जूता / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
थोड़ी हवा नाक में घुस गई<br> | थोड़ी हवा नाक में घुस गई<br> | ||
घुस गई थोड़ी कान में<br> | घुस गई थोड़ी कान में<br> | ||
+ | |||
+ | |||
कभी नाक को, कभी कान को<br> | कभी नाक को, कभी कान को<br> | ||
मलते इब्नबतूता<br> | मलते इब्नबतूता<br> | ||
इसी बीच में निकल पड़ा<br> | इसी बीच में निकल पड़ा<br> | ||
उनके पैरों का जूता<br> | उनके पैरों का जूता<br> | ||
+ | |||
+ | |||
उड़ते उड़ते जूता उनका<br> | उड़ते उड़ते जूता उनका<br> | ||
जा पहुँचा जापान में<br> | जा पहुँचा जापान में<br> | ||
इब्नबतूता खड़े रह गये<br> | इब्नबतूता खड़े रह गये<br> | ||
मोची की दुकान में। | मोची की दुकान में। |
17:27, 29 जून 2008 का अवतरण
इब्नबतूता पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई
घुस गई थोड़ी कान में
कभी नाक को, कभी कान को
मलते इब्नबतूता
इसी बीच में निकल पड़ा
उनके पैरों का जूता
उड़ते उड़ते जूता उनका
जा पहुँचा जापान में
इब्नबतूता खड़े रह गये
मोची की दुकान में।