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"वसन्त की रात-2 / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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'''चित्रा जौहरी के लिए'''
  
 
दिन वसन्त के आए फिर से आई वसन्त की रात
 
दिन वसन्त के आए फिर से आई वसन्त की रात
 
 
इतने बरस बाद भी, चित्रा! तू है मेरे साथ
 
इतने बरस बाद भी, चित्रा! तू है मेरे साथ
 
 
पढ़ते थे तब साथ-साथ हम, लड़ते थे बिन बात
 
पढ़ते थे तब साथ-साथ हम, लड़ते थे बिन बात
 
 
घूमा करते वन-प्रांतरों में डाल हाथ में हाथ
 
घूमा करते वन-प्रांतरों में डाल हाथ में हाथ
 
  
 
बदली तैर रही है नभ में झलक रहा है चांद
 
बदली तैर रही है नभ में झलक रहा है चांद
 
 
चित्रा! तेरी याद में मन है मेरा उदास  
 
चित्रा! तेरी याद में मन है मेरा उदास  
 
 
देखूंगा, देखूंगा, मैं तुझे फिर एक बार
 
देखूंगा, देखूंगा, मैं तुझे फिर एक बार
 
 
मरते हुए कवि को, चित्रा! अब भी है यह आस
 
मरते हुए कवि को, चित्रा! अब भी है यह आस
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20:43, 22 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण


चित्रा जौहरी के लिए

दिन वसन्त के आए फिर से आई वसन्त की रात
इतने बरस बाद भी, चित्रा! तू है मेरे साथ
पढ़ते थे तब साथ-साथ हम, लड़ते थे बिन बात
घूमा करते वन-प्रांतरों में डाल हाथ में हाथ

बदली तैर रही है नभ में झलक रहा है चांद
चित्रा! तेरी याद में मन है मेरा उदास
देखूंगा, देखूंगा, मैं तुझे फिर एक बार
मरते हुए कवि को, चित्रा! अब भी है यह आस