भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो तुम ही बंधू , सखा तुम्ही हो तुम्ही हो साथी ...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | {{KKAnthologyPita}} | ||
तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो | तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो | ||
01:00, 19 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो
तुम ही बंधू , सखा तुम्ही हो
तुम्ही हो साथी तुम ही सहारे
कोई न अपना सिवाए तुम्हारे
तुम्ही हो नैया तुम्ही खिवैया
तुम ही हो बंधू सखा तुम्ही हो ...
जो खिल सके न वो फूल हम हैं
तुम्हारे चरणों की धुल हम हैं
दया की दृष्टि सदा ही रखना
तुम ही हो बंधू सखा तुम ही हो...