भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ओ री चिड़िया / कृष्ण शलभ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृष्ण शलभ}} Category:बाल-कविताएँ जहाँ कहूँ मैं बोल बता दे क...)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=कृष्ण शलभ}}
 
|रचनाकार=कृष्ण शलभ}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
+
{{KKCatBaalKavita}}
 
+
<poem>
 
जहाँ कहूँ मैं बोल बता दे
 
जहाँ कहूँ मैं बोल बता दे
  
पंक्ति 68: पंक्ति 68:
  
 
हो आएगी, ओ री चिड़िया।
 
हो आएगी, ओ री चिड़िया।
 +
</poem>

19:56, 28 अगस्त 2009 का अवतरण

जहाँ कहूँ मैं बोल बता दे

क्या जाएगी, ओ री चिड़िया

उड़ करके क्या चन्दा के घर

हो आएगी, ओ री चिड़िया।




चन्दा मामा के घर जाना

वहाँ पूछ कर इतना आना

आ करके सच-सच बतलाना

कब होगा धरती पर आना

कब जाएगी, बोल लौट कर

कब आएगी, ओ री चिड़िया

उड़ करके क्या चन्दा के घर

हो आएगी, ओ री चिड़िया।




पास देख सूरज के जाना

जा कर कुछ थोड़ा सुस्ताना

दुबकी रहती धूप रात-भर

कहाँ? पूछना, मत घबराना

सूरज से किरणों का बटुआ

कब लाएगी, ओ री चिड़िया

उड़ करके क्या चन्दा के घर

हो आएगी, ओ री चिड़िया।




चुन-चुन-चुन-चुन गाते गाना

पास बादलों के हो आना

हाँ, इतना पानी ले आना

उग जाए खेतों में दाना

उगा न दाना, बोल बता फिर

क्या खाएगी, ओ री चिड़िया

उड़ करके क्या चन्दा के घर

हो आएगी, ओ री चिड़िया।