"एकोॅ माथा पर / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरेन्द्र |अनुवादक= |संग्रह=करिया...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
केहनोॅ ई सब लोग | केहनोॅ ई सब लोग | ||
आरो आपनोॅ अच्छा होय के सब पीटै छै ढोल | आरो आपनोॅ अच्छा होय के सब पीटै छै ढोल | ||
− | तित्तर | + | तित्तर धीरेॅ-धीरेॅ बोल । |
के बोलेॅॅ केकरा सें कुछछू | के बोलेॅॅ केकरा सें कुछछू | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
सब मौका के मारलोॅ दीदी | सब मौका के मारलोॅ दीदी | ||
− | सब | + | सब सुक्खोॅ के यार |
जेकरा सें कुच्छु फायदा छै ओकरे आबेॅ मोल | जेकरा सें कुच्छु फायदा छै ओकरे आबेॅ मोल | ||
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल । | तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल । |
20:59, 19 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
एकोॅ माथा पर तितिर बुलै छै
कोय नै लै छै मोल
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।
खाली तमासा देखी केॅ हाँसै
केहनोॅ ई सब लोग
आरो आपनोॅ अच्छा होय के सब पीटै छै ढोल
तित्तर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।
के बोलेॅॅ केकरा सें कुछछू
सबके एक्के चाल
आपना केॅ सब तेज बुझै छै, दुसरा केॅ भुसगोल
तित्तिर धीरेॅॅ-धीरेॅ बोल ।
सब मौका के मारलोॅ दीदी
सब सुक्खोॅ के यार
जेकरा सें कुच्छु फायदा छै ओकरे आबेॅ मोल
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।
कटियो टा विस्वास करै छै
केकरौ पर नै कोय
बेसिये तेॅ भेड़िये छै दीदी पिह्नलेॅ भेंड़ के खोल
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।
मानलौं कि हमरोॅ गीतोॅ मेॅ
रस नै छै, नै बात
सुग्गा के अच्छा लागै छै सब केॅ टेढ़ो लोल
तित्तिर धीरेॅ-धीरेॅ बोल ।