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तुम्हारा नाराज़ होना / भावना मिश्र
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22:01, 26 जुलाई 2016
सारे सुन्दर फूलों ने फेर लिया हो चेहरा
कि सुबह की ताज़ी हवा ने
ठान ली हो
जिद
ज़िद
बगैर छूए ही गुज़र जाने की
नरम दोपहरी जैसे
अनिल जनविजय
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