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"शिखर भने कहाँ / गोपाल योञ्जन" के अवतरणों में अंतर
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− | + | म त यस्तो होइन दाइ, मेरो करम यस्तो | |
− | + | भ्याए जति गर्दै जाने आफ्नो धरम यस्तो | |
+ | सहँदै जानु पर्ला दाइ, आउला दिन जस्तो जस्तो | ||
− | + | मैले जति पाइला हिँडेँ, सबै मेट्दै आएँ | |
− | + | पाए जति खुशी व्यथा, सब समेट्दै आएँ | |
− | + | यही भाका गलाभरी मैले रेट्दै रेट्दै आएँ | |
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19:53, 18 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण
शिखर भने कहाँ, अझै कति टाढा
अहिलेसम्म जाँदैछु म, एक्लै डाँडा डाँडा
म त यस्तो होइन दाइ, मेरो करम यस्तो
भ्याए जति गर्दै जाने आफ्नो धरम यस्तो
सहँदै जानु पर्ला दाइ, आउला दिन जस्तो जस्तो
मैले जति पाइला हिँडेँ, सबै मेट्दै आएँ
पाए जति खुशी व्यथा, सब समेट्दै आएँ
यही भाका गलाभरी मैले रेट्दै रेट्दै आएँ