भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वक़्त करता जो वफ़ा / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: गरज-गरज शोर करत काली घटा, जिया न लागे हमार। बिजली बन कर चमकती मेरे मन की आ...) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=इंदीवर | ||
+ | }} | ||
+ | [[Category:गीत]] | ||
+ | <poem>वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते | ||
+ | हम भी ग़ैरों की तरह आप को प्यारे होते | ||
+ | वक़्त करता जो वफ़ा ... | ||
+ | अपनी तक़दीर में पहले ही कूछ तो ग़म हैं | ||
+ | और कुछ आप की फ़ितरत में वफ़ा भी कम है | ||
+ | वरन जीती हुई बाज़ी तो ना हारे होते | ||
+ | वक़्त करता जो वफ़ा ... | ||
− | + | हम भी प्यासे हैं ये साक़ी को बता भी न सके | |
+ | सामने जाम था और जाम उठा भी न सके | ||
+ | काश ग़ैरते-महफ़िल के न मारे होते | ||
+ | वक़्त करता जो वफ़ा ... | ||
− | + | दम घुटा जाता है सीने में फिर भी ज़िंदा हैं | |
− | + | तुम से क्या हम तो ज़िंदगी से भी शर्मिन्दा हैं | |
− | + | मर ही जाते जो न यादों के सहारे होते | |
− | + | वक़्त करता जो वफ़ा ...</poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + |
01:43, 1 मार्च 2010 का अवतरण
वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते
हम भी ग़ैरों की तरह आप को प्यारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...
अपनी तक़दीर में पहले ही कूछ तो ग़म हैं
और कुछ आप की फ़ितरत में वफ़ा भी कम है
वरन जीती हुई बाज़ी तो ना हारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...
हम भी प्यासे हैं ये साक़ी को बता भी न सके
सामने जाम था और जाम उठा भी न सके
काश ग़ैरते-महफ़िल के न मारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...
दम घुटा जाता है सीने में फिर भी ज़िंदा हैं
तुम से क्या हम तो ज़िंदगी से भी शर्मिन्दा हैं
मर ही जाते जो न यादों के सहारे होते
वक़्त करता जो वफ़ा ...