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"आशा का दीपक / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

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वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नही है<br>
 
वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नही है<br>
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर् नही है<br>
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थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है<br>
 
चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से<br>
 
चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से<br>
चमक रहे पीछे मुड् देखो चरण-चिनह् जगमग से<br>
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चमक रहे पीछे मुड देखो चरण-चिनह जगमग से<br>
बाकी होश तभी तक , जब तक जलता तूर् नही है<br>
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बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नही है<br>
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर् नही है<br>
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थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है<br>

22:25, 8 अप्रैल 2008 का अवतरण

वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नही है
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है
चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से
चमक रहे पीछे मुड देखो चरण-चिनह जगमग से
बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नही है
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है