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"हिज्र के सवाल पे बवाल कम नहीं हुआ / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर
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इस तरह लगाव था कि सिर कटे को देखकर | इस तरह लगाव था कि सिर कटे को देखकर | ||
− | धड़ पकड़ लिया गया उछाल कम नहीं हुआ | + | धड़ पकड़ लिया गया उछाल कम नहीं हुआ |
− | सोचते रहे निज़ात किस तरह मिले | + | सोचते रहे निज़ात किस तरह मिले मगर |
− | दिन-ब-दिन बढ़ा किया ये जाल कम नहीं हुआ | + | दिन- ब- दिन बढ़ा किया ये जाल कम नहीं हुआ |
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20:27, 18 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
हिज्र के सवाल पे बवाल कम नहीं हुआ
चुप रहे भले मगर मलाल कम नहीं हुआ
दोस्तों ने डाल दी क़बा- ए- ख़ार, हाय रे
ज़िन्दगी- सराय में कमाल कम नहीं हुआ
इस तरह लगाव था कि सिर कटे को देखकर
धड़ पकड़ लिया गया उछाल कम नहीं हुआ
सोचते रहे निज़ात किस तरह मिले मगर
दिन- ब- दिन बढ़ा किया ये जाल कम नहीं हुआ