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देखना जज़्बे-मुहब्बत का असर आज की रात | देखना जज़्बे-मुहब्बत का असर आज की रात | ||
− | मेरे शाने पै है उस शोख़ का सर आज की रात | + | मेरे शाने पै'''<sup>1</sup>''' है उस शोख़ का सर आज की रात |
− | और क्या चाहिए अब | + | और क्या चाहिए अब ऐ दिले-मजरुह!'''<sup>2</sup>''' तुझे |
उसने देखा तो ब-अन्दाज़े दिगर आज की रात | उसने देखा तो ब-अन्दाज़े दिगर आज की रात | ||
− | नूर- ही-नूर है जिस सिम्त उठाऊँ आँख | + | नूर'''<sup>3</sup>'''-ही-नूर है जिस सिम्त'''<sup>4</sup>''' उठाऊँ आँख |
− | हुस्न-ही-हुस्न है, ताहद्दे-नज़र आज की रात | + | हुस्न-ही-हुस्न है, ताहद्दे-नज़र'''<sup>5</sup>''' आज की रात |
− | अल्लाह-अल्लाह वह पेशानिए-सीमीं का जमाल | + | अल्लाह-अल्लाह वह पेशानिए-सीमीं का जमाल'''<sup>6</sup>''' |
रह गई जम के सितारों की नज़र आज की रात | रह गई जम के सितारों की नज़र आज की रात | ||
− | नग़्मा-ओ-मै का यह तूफ़ाने-तरब क्या कहिए! | + | नग़्मा-ओ-मै का'''<sup>7</sup>''' यह तूफ़ाने-तरब'''<sup>8</sup>''' क्या कहिए! |
घर मेरा बन गया ख़ैय्याम का घर आज की रात | घर मेरा बन गया ख़ैय्याम का घर आज की रात | ||
− | अपनी रफ़अ़त पै जो नाज़ाँ हैं तो नाज़ाँ ही रहें | + | अपनी रफ़अ़त पै जो नाज़ाँ'''<sup>9</sup>''' हैं तो नाज़ाँ ही रहें |
− | कह दो अंजुम से कि देखें न इधर आज की रात | + | कह दो अंजुम से'''<sup>10</sup>''' कि देखें न इधर आज की रात |
− | उनके अल्ताफ़ का इतना ही फ़सूँ काफ़ी है | + | उनके अल्ताफ़ का'''<sup>11</sup>''' इतना ही फ़सूँ'''<sup>12</sup>''' काफ़ी है |
कम है पहले से बहुत दर्दे-जिगर आज की रात | कम है पहले से बहुत दर्दे-जिगर आज की रात | ||
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+ | '''1'''कन्धे पर; '''2'''घायल हृदय; '''3'''प्रकाश; '''4'''तरफ़; '''5''' जहाँ तक नज़र जाती है; '''6'''धवल मस्तक का निखार; '''7'''संगीत और सुरा का; '''8'''आनन्दमयी समाँ; '''9'''ऊँचाई पर गर्वित; '''10'''नक्षत्रों से; '''11'''कृपाओं का; '''12'''जादू |
15:49, 18 अप्रैल 2008 का अवतरण
देखना जज़्बे-मुहब्बत का असर आज की रात
मेरे शाने पै1 है उस शोख़ का सर आज की रात
और क्या चाहिए अब ऐ दिले-मजरुह!2 तुझे
उसने देखा तो ब-अन्दाज़े दिगर आज की रात
नूर3-ही-नूर है जिस सिम्त4 उठाऊँ आँख
हुस्न-ही-हुस्न है, ताहद्दे-नज़र5 आज की रात
अल्लाह-अल्लाह वह पेशानिए-सीमीं का जमाल6
रह गई जम के सितारों की नज़र आज की रात
नग़्मा-ओ-मै का7 यह तूफ़ाने-तरब8 क्या कहिए!
घर मेरा बन गया ख़ैय्याम का घर आज की रात
अपनी रफ़अ़त पै जो नाज़ाँ9 हैं तो नाज़ाँ ही रहें
कह दो अंजुम से10 कि देखें न इधर आज की रात
उनके अल्ताफ़ का11 इतना ही फ़सूँ12 काफ़ी है
कम है पहले से बहुत दर्दे-जिगर आज की रात
1कन्धे पर; 2घायल हृदय; 3प्रकाश; 4तरफ़; 5 जहाँ तक नज़र जाती है; 6धवल मस्तक का निखार; 7संगीत और सुरा का; 8आनन्दमयी समाँ; 9ऊँचाई पर गर्वित; 10नक्षत्रों से; 11कृपाओं का; 12जादू