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|कृतियाँ=गीत-सग्रह-पिन बहुत सारे (१९७२), भीतर साँकलःबाहर साँकल (१९७८), उर्वशी हो तुम, (१९८७), झुलसो मत मोरपंख (१९९०), एक दीप चौमुखी (१९९७), नदी पसीने की (२००५), दिन दिवंगत हुए (२००५), ग़ज़ल-संग्रह-शामियाने काँच के (१९८३), महावर इंतज़ारों का (१९८३), रस्सियाँ पानी की (१९८७), पत्थर की बाँसुरी (१९९०), दीवारों पर दस्तक (१९९१), नाव बनता हुआ काग़ज़ (१९९२), आग पर कंदील १९९३), आँधियों में पेड़ (१९९७), आठ सुरों की बाँसुरी (१९९७), आँगन की अलगनी (१९९७), तो सुबह हो (२०००), कोई आवाज़ देता है (२००५); कविता-संग्रह-नदी तुम रुक क्यों गई (१९९७), शब्दः एक लालटेन (१९९७); उपन्यासः मरकत द्वीप की नीलमणि (१९९७); अन्य- ग़ज़ल का व्याकरण (१९९७); पाँचाली (महाकाव्य); संपादन-सुर-संकेत (त्रैमासिक); विदेश यात्राएँ-मारीशस, रूस, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ओमान, अमरीका, दुबई, सूरीनाम, कनाडा, यू०के०; फिल्म-कोख (आर्ट फ़िल्म); कसक, ताँगे का घोडा़,भविष्य-द-फ्यूचर, कैसेट एवं ऑडियो सी०डी० (कवि की अपनी आवाज़ में)-प्यार के छींटे, आहटें, अन्य गायक-गायिकाओं की आवाज़ में कैसेट-'पहली नज़र' एवं 'दस्तक'। | |कृतियाँ=गीत-सग्रह-पिन बहुत सारे (१९७२), भीतर साँकलःबाहर साँकल (१९७८), उर्वशी हो तुम, (१९८७), झुलसो मत मोरपंख (१९९०), एक दीप चौमुखी (१९९७), नदी पसीने की (२००५), दिन दिवंगत हुए (२००५), ग़ज़ल-संग्रह-शामियाने काँच के (१९८३), महावर इंतज़ारों का (१९८३), रस्सियाँ पानी की (१९८७), पत्थर की बाँसुरी (१९९०), दीवारों पर दस्तक (१९९१), नाव बनता हुआ काग़ज़ (१९९२), आग पर कंदील १९९३), आँधियों में पेड़ (१९९७), आठ सुरों की बाँसुरी (१९९७), आँगन की अलगनी (१९९७), तो सुबह हो (२०००), कोई आवाज़ देता है (२००५); कविता-संग्रह-नदी तुम रुक क्यों गई (१९९७), शब्दः एक लालटेन (१९९७); उपन्यासः मरकत द्वीप की नीलमणि (१९९७); अन्य- ग़ज़ल का व्याकरण (१९९७); पाँचाली (महाकाव्य); संपादन-सुर-संकेत (त्रैमासिक); विदेश यात्राएँ-मारीशस, रूस, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ओमान, अमरीका, दुबई, सूरीनाम, कनाडा, यू०के०; फिल्म-कोख (आर्ट फ़िल्म); कसक, ताँगे का घोडा़,भविष्य-द-फ्यूचर, कैसेट एवं ऑडियो सी०डी० (कवि की अपनी आवाज़ में)-प्यार के छींटे, आहटें, अन्य गायक-गायिकाओं की आवाज़ में कैसेट-'पहली नज़र' एवं 'दस्तक'। | ||
− | |विविध= | + | |विविध=हिंदी साहित्य अवार्ड (१९९७), उ०प्र० हिंदी संस्थान का साहित्य भूषण (२००४), इसी प्रकार देश विदेश की लगभग दो सौ संस्थाओं द्वारा सम्मानित, परिवार पुरस्कार सम्मान, मुंबई (२००४), राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी जैलसिंह एवं महामहिम डॉ० शंकर दयाल शर्मा द्वारा सम्मानित; अनेक विश्वविद्यालयों तथा महाराष्ट्र एवं गुजरात बोर्ड के पाठ्यक्रमों में संकलित। |
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कुँअर बेचैन की रचनाएँ
कुँअर बेचैन
जन्म | 01 जुलाई 1942 |
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उपनाम | डॉ० कुअँर बहादुर सक्सेना |
जन्म स्थान | ग्राम उमरी, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
गीत-सग्रह-पिन बहुत सारे (१९७२), भीतर साँकलःबाहर साँकल (१९७८), उर्वशी हो तुम, (१९८७), झुलसो मत मोरपंख (१९९०), एक दीप चौमुखी (१९९७), नदी पसीने की (२००५), दिन दिवंगत हुए (२००५), ग़ज़ल-संग्रह-शामियाने काँच के (१९८३), महावर इंतज़ारों का (१९८३), रस्सियाँ पानी की (१९८७), पत्थर की बाँसुरी (१९९०), दीवारों पर दस्तक (१९९१), नाव बनता हुआ काग़ज़ (१९९२), आग पर कंदील १९९३), आँधियों में पेड़ (१९९७), आठ सुरों की बाँसुरी (१९९७), आँगन की अलगनी (१९९७), तो सुबह हो (२०००), कोई आवाज़ देता है (२००५); कविता-संग्रह-नदी तुम रुक क्यों गई (१९९७), शब्दः एक लालटेन (१९९७); उपन्यासः मरकत द्वीप की नीलमणि (१९९७); अन्य- ग़ज़ल का व्याकरण (१९९७); पाँचाली (महाकाव्य); संपादन-सुर-संकेत (त्रैमासिक); विदेश यात्राएँ-मारीशस, रूस, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ओमान, अमरीका, दुबई, सूरीनाम, कनाडा, यू०के०; फिल्म-कोख (आर्ट फ़िल्म); कसक, ताँगे का घोडा़,भविष्य-द-फ्यूचर, कैसेट एवं ऑडियो सी०डी० (कवि की अपनी आवाज़ में)-प्यार के छींटे, आहटें, अन्य गायक-गायिकाओं की आवाज़ में कैसेट-'पहली नज़र' एवं 'दस्तक'। | |
विविध | |
हिंदी साहित्य अवार्ड (१९९७), उ०प्र० हिंदी संस्थान का साहित्य भूषण (२००४), इसी प्रकार देश विदेश की लगभग दो सौ संस्थाओं द्वारा सम्मानित, परिवार पुरस्कार सम्मान, मुंबई (२००४), राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी जैलसिंह एवं महामहिम डॉ० शंकर दयाल शर्मा द्वारा सम्मानित; अनेक विश्वविद्यालयों तथा महाराष्ट्र एवं गुजरात बोर्ड के पाठ्यक्रमों में संकलित।
यह परिचय Dr.Bhawna Kunwar द्वारा कविता कोश में डाला गया है। | |
जीवन परिचय | |
कुँअर बेचैन / परिचय |
- दिन दिवंगत हुए / कुँअर बेचैन
- लौट आ रे / कुँअर बेचैन
- जिस मृग पर कस्तूरी है / कुँअर बेचैन
- सोख न लेना पानी / कुँअर बेचैन
- वर्ना रो पड़ोगे ! / कुँअर बेचैन
- चल हवा / कुँअर बेचैन
- दो चार बार हम जो कभी / कुँअर बेचैन
- उँगलियाँ थाम के खुद / कुँअर बेचैन
- चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया / कुँअर बेचैन
- शाख़ पर एक फूल भी है / कुँअर बेचैन
- बेटियाँ / कुँअर बेचैन