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"नव दुर्गा आराधना / सोना श्री" के अवतरणों में अंतर

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शैलपुत्री की साधना, करती बारम्बार l
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नव दुर्गा तुमको नमन, तुम मेरा आधार।
गिरिजानंदिनि माँ करो, विनती को स्वीकार ।।
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तुमसे ही माँ चल रहा, यह सारा संसार।।
 
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यह सारा संसार, तुम्हारी करता पूजा।
जप-तप शिव का कर रही, ब्रह्मचारिणी रूप l
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तुम जैसा है मात, नहीं इस जग में दूजा।
वनप्रियवासिनि मात का, लगता रूप अनूप ।।
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दे दे मुझको दान, पार करवा दो माँ भव।
 
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ध्यान तुम्हारा करूँ, रूप तेरे हैं माँ नव।।
तेरे मस्तक चंद्र है, मुख पर रवि का तेज l
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मात चंद्रघन्टे करो, तम-बल को निस्तेज ।।
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कुष्मांडा सुखदायनी, अष्टभुजा का रूप l
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भक्त सभी हैं मात के, निर्धन हों या भूप ।।
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माता हैं स्कंद की, पंचम दुर्गा रूप l
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माता विद्यावाहिनी, ममता का प्रतिरूप ।।
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छठा रूप धर कर किया, महिष असुर का नाश l
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भव्या माँ कात्यायनी, जग में भरो प्रकाश ।।
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असुर रक्त से था किया, काली ने अभिषेक l
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माँ काली की अर्चना, देती सुफल अनेक ।।
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माँ गौरी सुखदायनी, हरती दुख-संताप l
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उमा-भवानी नाम से, पूजी जातीं आप ।।
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सिद्धि-दायिनी कर रही, श्रद्धा से मैं गान l
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मेरी सारी मुश्किलें, माँ कर दो आसान ।।
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23:40, 11 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

नव दुर्गा तुमको नमन, तुम मेरा आधार।
तुमसे ही माँ चल रहा, यह सारा संसार।।
यह सारा संसार, तुम्हारी करता पूजा।
तुम जैसा है मात, नहीं इस जग में दूजा।
दे दे मुझको दान, पार करवा दो माँ भव।
ध्यान तुम्हारा करूँ, रूप तेरे हैं माँ नव।।