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"ऐसे हैं सुख सपन हमारे / नरेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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ऐसे हैं सुख सपन हमारे
 
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बन बन कर मिट जाते जैसे
 
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बालू के घर नदी किनारे
 
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ऐसे हैं सुख सपन हमारे....
 
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लहरें आतीं, बह-बह जातीं
 
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रेखाए बस रह-रह जातीं
 
रेखाए बस रह-रह जातीं
 
 
जाते पल को कौन पुकारे
 
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ऐसे हैं सुख सपन हमारे....
 
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ऐसी इन सपनों की माया
 
ऐसी इन सपनों की माया
 
 
जल पर जैसे चांद की छाया
 
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चांद किसी के हाथ न आया
 
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चाहे जितना हाथ पसारे
 
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ऐसे हैं सुख सपन हमारे....
 
ऐसे हैं सुख सपन हमारे....
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11:45, 8 दिसम्बर 2009 का अवतरण

ऐसे हैं सुख सपन हमारे
बन बन कर मिट जाते जैसे
बालू के घर नदी किनारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे....

लहरें आतीं, बह-बह जातीं
रेखाए बस रह-रह जातीं
जाते पल को कौन पुकारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे....

ऐसी इन सपनों की माया
जल पर जैसे चांद की छाया
चांद किसी के हाथ न आया
चाहे जितना हाथ पसारे
ऐसे हैं सुख सपन हमारे....