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"अतीत / शैलेन्द्र चौहान" के अवतरणों में अंतर

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इतने डरावने भी नहीं थे
 
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सब दिन
 
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ललमुनिया नाचती थी
 
ललमुनिया नाचती थी
 
 
पहन कर लाल लहंगा,
 
पहन कर लाल लहंगा,
 
 
लाल चूनर
 
लाल चूनर
 
 
  
 
चिडि़या सी फुदकती
 
चिडि़या सी फुदकती
 
 
लचकती बेल सी  
 
लचकती बेल सी  
 
 
बच्ची सी चहकती
 
बच्ची सी चहकती
 
 
जवान ललमुनिया  
 
जवान ललमुनिया  
 
 
(किशोरी भी हो सकती है)
 
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मजा ला देती
 
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किसी ने उसका
 
किसी ने उसका
 
 
हाथ नहीं पकड़ा
 
हाथ नहीं पकड़ा
 
 
पैसे नहीं फैंके
 
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किसी ने नहीं कहा
 
किसी ने नहीं कहा
 
 
’हाय मेरी जान !’  
 
’हाय मेरी जान !’  
 
 
नहीं कहा किसीने रात रुकने को
 
नहीं कहा किसीने रात रुकने को
 
 
  
 
उल्टे भूरे काका ने
 
उल्टे भूरे काका ने
 
 
सर पर हाथ रखकर
 
सर पर हाथ रखकर
 
 
ढेरों आशीर्वाद दिए
 
ढेरों आशीर्वाद दिए
 
 
बहू की एक धोती दी
 
बहू की एक धोती दी
 
 
डेढ़ मन अनाज दिया
 
डेढ़ मन अनाज दिया
 
 
  
 
कसे हुए जवान,पट्ठे बैलों को
 
कसे हुए जवान,पट्ठे बैलों को
 
 
छकड़े में जोतकर
 
छकड़े में जोतकर
 
 
चारों तरफ कपड़ा लगा
 
चारों तरफ कपड़ा लगा
 
 
बेटी की तरह ललमुनिया को  
 
बेटी की तरह ललमुनिया को  
 
 
बिदा किया
 
बिदा किया
 
 
ललमुनिया की आँख से
 
ललमुनिया की आँख से
 
 
बह निकला समुँदर  
 
बह निकला समुँदर  
 
 
  
 
दो बूँदें उँगली से झटक
 
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काका ने लगाई  
 
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एड़ बैलों को
 
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01:08, 14 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

इतने डरावने भी नहीं थे
सब दिन
ललमुनिया नाचती थी
पहन कर लाल लहंगा,
लाल चूनर

चिडि़या सी फुदकती
लचकती बेल सी
बच्ची सी चहकती
जवान ललमुनिया
(किशोरी भी हो सकती है)
मजा ला देती

किसी ने उसका
हाथ नहीं पकड़ा
पैसे नहीं फैंके
किसी ने नहीं कहा
’हाय मेरी जान !’
नहीं कहा किसीने रात रुकने को

उल्टे भूरे काका ने
सर पर हाथ रखकर
ढेरों आशीर्वाद दिए
बहू की एक धोती दी
डेढ़ मन अनाज दिया

कसे हुए जवान,पट्ठे बैलों को
छकड़े में जोतकर
चारों तरफ कपड़ा लगा
बेटी की तरह ललमुनिया को
बिदा किया
ललमुनिया की आँख से
बह निकला समुँदर

दो बूँदें उँगली से झटक
काका ने लगाई
एड़ बैलों को