भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बजने दो तरंग / शील" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शील |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <poem> ब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
बजने दो जल तरंग। | बजने दो जल तरंग। | ||
+ | |||
+ | 25 सितम्बर 1955 | ||
</poem> | </poem> |
00:44, 29 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
बजने दो जल तरंग।
चली चलें संग-संग
अंग-अंग में उमंग
अपनी यह राजनीति
कर दें जो हल प्रसंग।
बजने दो जल तरंग।
बन्द करो जंग जंग
रचना है रूप-रंग
खोलेंगी शस्य-श्रोत,
यांग्सी, दोन, जमुन-गंग।
बजने दो जल तरंग।
25 सितम्बर 1955