"तूफ़ान और पेड़ / फ़दवा तूकान" के अवतरणों में अंतर
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काले समुद्र ने कै की थी | काले समुद्र ने कै की थी | ||
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बर्बर समुद्र-तट से | बर्बर समुद्र-तट से | ||
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सुन्दर हरित मैदान के ऊपर | सुन्दर हरित मैदान के ऊपर | ||
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पेड़ गिरने लगे थे | पेड़ गिरने लगे थे | ||
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पेड़ गिर गए | पेड़ गिर गए | ||
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पेड़ों के भव्य तने | पेड़ों के भव्य तने | ||
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तूफ़ान से ध्वस्त हो गए | तूफ़ान से ध्वस्त हो गए | ||
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और पेड़ निर्जीव हो गए | और पेड़ निर्जीव हो गए | ||
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पेड़ ! पेड़ ! | पेड़ ! पेड़ ! | ||
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क्या तुम मर सकते हो? | क्या तुम मर सकते हो? | ||
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सुर्ख़ नदियों ने पूछा | सुर्ख़ नदियों ने पूछा | ||
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प्यारे पेड़ | प्यारे पेड़ | ||
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तुम्हारी जड़ें लबालब भरी हुई हैं | तुम्हारी जड़ें लबालब भरी हुई हैं | ||
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युवा अवयवों से तैयार गहरी लाल शराब से | युवा अवयवों से तैयार गहरी लाल शराब से | ||
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प्यारे पेड़ | प्यारे पेड़ | ||
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अरबी जड़ें कभी नहीं सूखतीं | अरबी जड़ें कभी नहीं सूखतीं | ||
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वे फैलती हैं नितल गहराइयों में | वे फैलती हैं नितल गहराइयों में | ||
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चट्टानों के पार तक धरती के भीतर | चट्टानों के पार तक धरती के भीतर | ||
− | + | अपना रास्ता ढूँढ़ती हुईं | |
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पेड़ ! पेड़ ! | पेड़ ! पेड़ ! | ||
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तुम उगोगे सूर्य के संरक्षण में | तुम उगोगे सूर्य के संरक्षण में | ||
− | + | फूटेंगे कल्ले ताज़ा और सब्ज़ हरे | |
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पत्तों के बीच गूँज़ेगी हँसी | पत्तों के बीच गूँज़ेगी हँसी | ||
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धूप पर चढ़कर लौटेंगे पक्षी | धूप पर चढ़कर लौटेंगे पक्षी | ||
+ | घर की ओर, घर की ओर, घर की ओर | ||
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02:05, 14 जून 2018 के समय का अवतरण
जब खूँखार तूफ़ान ने
सब तहस-नहस कर दिया था
काले समुद्र ने कै की थी
बर्बर समुद्र-तट से
सुन्दर हरित मैदान के ऊपर
हवा में गरजा था पिशाच
पेड़ गिरने लगे थे
पेड़ गिर गए
पेड़ों के भव्य तने
तूफ़ान से ध्वस्त हो गए
और पेड़ निर्जीव हो गए
पेड़ ! पेड़ !
क्या तुम मर सकते हो?
सुर्ख़ नदियों ने पूछा
प्यारे पेड़
तुम्हारी जड़ें लबालब भरी हुई हैं
युवा अवयवों से तैयार गहरी लाल शराब से
प्यारे पेड़
अरबी जड़ें कभी नहीं सूखतीं
वे फैलती हैं नितल गहराइयों में
चट्टानों के पार तक धरती के भीतर
अपना रास्ता ढूँढ़ती हुईं
पेड़ ! पेड़ !
तुम उगोगे सूर्य के संरक्षण में
फूटेंगे कल्ले ताज़ा और सब्ज़ हरे
पत्तों के बीच गूँज़ेगी हँसी
धूप पर चढ़कर लौटेंगे पक्षी
घर की ओर, घर की ओर, घर की ओर
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय