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"अंधेरों के दरख़्त / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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कि खड़े हो गए रातो-रात
 
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फूल खिले फिर फल
 
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टपक पड़े बीज़ फट
 
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दरख़्तों से उगे पहाड़
 
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पहाड़ों से परछाइयाँ
 
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पौ फटनी थी कि
 
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छा गया अंधेरा पूरी तरह।
 
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23:32, 19 मई 2008 का अवतरण

परछाइयों के बीज़

कुछ इस तरह बिख़र गए

पिछवाड़े


कि खड़े हो गए रातो-रात

अंधेरों के दरख़्त

फूल खिले फिर फल

टपक पड़े बीज़ फट


दरख़्तों से उगे पहाड़

पहाड़ों से परछाइयाँ

पौ फटनी थी कि

छा गया अंधेरा पूरी तरह।