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"सखियाँ / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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ठमक गई अचानक वह युवती
 
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मुश्किल से गर्दन ज़रा-सी घुमाई
 
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दायाँ तलवा पीछे उठाया
 
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और सखी ने झुक कर
 
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::::खींचा रेंगनी काँटा
 
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और चल दी फिर दोनों सखियाँ
 
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माथे पर जल लिए
 
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13:42, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

माथे पर जल भरा गगरा लिए
ठमक गई अचानक वह युवती

मुश्किल से गर्दन ज़रा-सी घुमाई
दायाँ तलवा पीछे उठाया
और सखी ने झुक कर
खींचा रेंगनी काँटा

और चल दी फिर दोनों सखियाँ
माथे पर जल लिए