भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इसी कदम्ब तले / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह= / गुलाब खं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह= / गुलाब खंडेलवाल
+
|संग्रह=गीत-वृन्दावन / गुलाब खंडेलवाल
 
}}
 
}}
 
[[Category:गीत]]
 
[[Category:गीत]]

07:55, 20 अप्रैल 2017 का अवतरण

 

इसी कदम्ब तले
कभी राधिका और श्याम दिखते थे गले-गले

यमुना वही, वही मधुवन है
वही चाँद है, वही गगन है
किन्तु गूँजता झिल्ली स्वप्न है
वंशी के बदले

रास नहीं रचते अब तट पर
धूम न मचती है पनघट पर
जुड़ते नहीं द्वार के वट पर पंछी साँझ ढले

यों तो फिर भी मेघ घिरेंगे
नयनों में घनश्याम तिरेंगे
किन्तु भूल कर भी न फिरेंगे
अब वे दिन पहले

इसी कदम्ब तले
कभी राधिका और श्याम दिखते थे गले-गले