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"दाँत / नीलेश रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर
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टूटकर ये दाँत जाएंगे कहाँ? | टूटकर ये दाँत जाएंगे कहाँ? | ||
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छत से फेंकूंगा चुराएगा आसमान | छत से फेंकूंगा चुराएगा आसमान | ||
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बनकर तारे चिढ़ाएंगे दूर से | बनकर तारे चिढ़ाएंगे दूर से | ||
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डालूँ चूहे के बिल में | डालूँ चूहे के बिल में | ||
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खाएगा मिट्ठू मुझ से पहले फल रसीले | खाएगा मिट्ठू मुझ से पहले फल रसीले | ||
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मुट्ठी में दबाए दाँत दौड़ता है बच्चा | मुट्ठी में दबाए दाँत दौड़ता है बच्चा | ||
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पीछे-पीछे दौड़ती है माँ। | पीछे-पीछे दौड़ती है माँ। | ||
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12:48, 3 मार्च 2010 के समय का अवतरण
गिरने वाले हैं सारे दूधिया दाँत एक-एक कर
टूटकर ये दाँत जाएंगे कहाँ?
छत पर जाके फेंकूँ या गाड़ दूँ ज़मीन में
छत से फेंकूंगा चुराएगा आसमान
बनाएगा तारे
बनकर तारे चिढ़ाएंगे दूर से
डालूँ चूहे के बिल में
आएँगे लौटकर सुन्दर और चमकीले
चिढाएँगे बच्चे ’चूहे के दाँत’ कहकर
खपरैल पर गए तो आएँगे कवेलू की तरह
या उड़ाकर ले जाएगी चिड़िया
गाड़ूँगा ज़मीन में बन जाएँगे पेड़
खाएगा मिट्ठू मुझ से पहले फल रसीले
मुट्ठी में दबाए दाँत दौड़ता है बच्चा
पीछे-पीछे दौड़ती है माँ।