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"शांत सरोवर का उर / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

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शांत सरोवर का उर
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किस इच्छ के लहरा कर
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हो उठता चंचल, चंचल ! 
  
शांत सरोवर का उर<br>
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सोये वीणा के सुर
किस इच्छ के लहरा कर<br>
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क्यों मधुर स्पर्श से मरमर्
हो उठता चंचल, चंचल !<br><br>
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बज उठते प्रतिपल, प्रतिपल !
  
सोये वीणा के सुर<br>
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आशा के लघु अंकुर
क्यों मधुर स्पर्श से मरमर्<br>
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किस सुख से पर फड़का कर
बज उठते प्रतिपल, प्रतिपल !<br><br>
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फैलाते नव दल पर दल !
  
आशा के लघु अंकुर<br>
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मानव का मन निष्ठुर
किस सुख से पर फड़का कर<br>
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सहसा आँसू में झर-झर
फैलाते नव दल पर दल !<br><br>
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क्यों जाता पिघल-पिघल गल !
  
मानव का मन निष्ठुर<br>
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मैं चिर उत्कंठातुर  
सहसा आँसू में झर-झर<br>
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जगती के अखिल चराचर  
क्यों जाता पिघल-पिघल गल !<br><br>
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यों मौन-मुग्ध किसके बल !  
 
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मैं चिर उत्कंठातुर<br>
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जगती के अखिल चराचर<br>
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यों मौन-मुग्ध किसके बल ! <br><br>
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(फरवरी,1932)
 
(फरवरी,1932)
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12:39, 13 अक्टूबर 2009 का अवतरण

शांत सरोवर का उर
किस इच्छ के लहरा कर
हो उठता चंचल, चंचल !

सोये वीणा के सुर
क्यों मधुर स्पर्श से मरमर्
बज उठते प्रतिपल, प्रतिपल !

आशा के लघु अंकुर
किस सुख से पर फड़का कर
फैलाते नव दल पर दल !

मानव का मन निष्ठुर
सहसा आँसू में झर-झर
क्यों जाता पिघल-पिघल गल !

मैं चिर उत्कंठातुर
जगती के अखिल चराचर
यों मौन-मुग्ध किसके बल !

(फरवरी,1932)