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"अप्रकाशित कविता / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर
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कोई इन्सानी कोशिश उसे सुधार नहीं सकती | कोई इन्सानी कोशिश उसे सुधार नहीं सकती | ||
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मेहनत से और बिगाड़ होता है पैदा | मेहनत से और बिगाड़ होता है पैदा | ||
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वह संगीन से संगीनतर होती जाती | वह संगीन से संगीनतर होती जाती | ||
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एक स्थायी दुर्घटना है | एक स्थायी दुर्घटना है | ||
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सारी रचनाओं को उसकी बगल से | सारी रचनाओं को उसकी बगल से | ||
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लम्बा चक्कर काटकर गुज़रना पड़ता है | लम्बा चक्कर काटकर गुज़रना पड़ता है | ||
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मैं क्या करूँ उस शिथिल | मैं क्या करूँ उस शिथिल | ||
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सीसे-सी भारी काया को | सीसे-सी भारी काया को | ||
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जिसके आगे प्रकाशित कविताएँ महज तितलियाँ है और | जिसके आगे प्रकाशित कविताएँ महज तितलियाँ है और | ||
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सारी समालोचना राख | सारी समालोचना राख | ||
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मनुष्यों में वह सिर्फ़ मुझे पहचानती है | मनुष्यों में वह सिर्फ़ मुझे पहचानती है | ||
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और मैं भी मनुष्य जब तक हूँ तब तक हूँ। | और मैं भी मनुष्य जब तक हूँ तब तक हूँ। | ||
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18:52, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
एक कविता जो पहले ही से ख़राब थी
होती जा रही है अब और ख़राब
कोई इन्सानी कोशिश उसे सुधार नहीं सकती
मेहनत से और बिगाड़ होता है पैदा
वह संगीन से संगीनतर होती जाती
एक स्थायी दुर्घटना है
सारी रचनाओं को उसकी बगल से
लम्बा चक्कर काटकर गुज़रना पड़ता है
मैं क्या करूँ उस शिथिल
सीसे-सी भारी काया को
जिसके आगे प्रकाशित कविताएँ महज तितलियाँ है और
सारी समालोचना राख
मनुष्यों में वह सिर्फ़ मुझे पहचानती है
और मैं भी मनुष्य जब तक हूँ तब तक हूँ।