भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"धूप की चिरैया / तारादत्त निर्विरोध" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डा तारादत्त निर्विरोध |संग्रह= }} Category:बाल-कविताएँ उड़...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=  
 
|संग्रह=  
 
}}
 
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
+
{{KKCatBaalKavita}}
 
+
<poem>
 
उड़ती है पार-द्वार धूप की चिरैया ।  
 
उड़ती है पार-द्वार धूप की चिरैया ।  
  
पंक्ति 31: पंक्ति 31:
  
 
रोज़ पढ़े समाचार धूप की चिरैया ।
 
रोज़ पढ़े समाचार धूप की चिरैया ।
 +
</poem>

20:40, 28 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

उड़ती है पार-द्वार धूप की चिरैया ।

 

पानी के दर्पण में, बिम्ब नया उभरा,

बिखर गया दूर-पास, एक-एक कतरा ।

पलकों-सी मार गई धूप की चिरैया ।

 

पूरब में कुंकुम का, थाल सजा-सँवरा,

किरणों-सी दुलहन का, रूप और निखरा ।

आँगना गई बुहार धूप की चिरैया ।

 

यहाँ-वहाँ, इधर-उधर, फुदक-फुदक नाचे,

सुख-दुख की आँखों के, शब्दों को बाँचे ।

रोज़ पढ़े समाचार धूप की चिरैया ।