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"लालटेनें-2 / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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बचपन के चेहरों और किताबों की तरफ़ लौटते हुए
 
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वे सबसे पहले मिलती हैं
 
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सियारों के रोने की आवाज़ों के बीच
 
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एक शुभ संकेत की तरह हमारी तरफ़ आती हुईं
 
एक शुभ संकेत की तरह हमारी तरफ़ आती हुईं
 
  
 
एक हाथ से दूसरे हाथ में जातीं
 
एक हाथ से दूसरे हाथ में जातीं
 
 
भरोसे की तरह
 
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सोए हुए घरों में जागतीं
 
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उम्मीद की तरह
 
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देर रात
 
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किसी सूने बरामदे में अकेली दिखाई दे जातीं
 
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धुआँ देती और भभकती हुईं।
 
धुआँ देती और भभकती हुईं।
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10:18, 5 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

बचपन के चेहरों और किताबों की तरफ़ लौटते हुए
वे सबसे पहले मिलती हैं
सियारों के रोने की आवाज़ों के बीच
एक शुभ संकेत की तरह हमारी तरफ़ आती हुईं

एक हाथ से दूसरे हाथ में जातीं
भरोसे की तरह
सोए हुए घरों में जागतीं
उम्मीद की तरह

देर रात
किसी सूने बरामदे में अकेली दिखाई दे जातीं
धुआँ देती और भभकती हुईं।