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"मनुष्यशक्ति / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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(मैं इसे मनुष्यशक्ति कहूंगा) | (मैं इसे मनुष्यशक्ति कहूंगा) | ||
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10:57, 5 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
कितना कोयला होगा मेरी देह में
कितनी कैलोरी कितने वाट कितने जूल
कितनी अश्वशक्ति
(मैं इसे मनुष्यशक्ति कहूंगा)
कितनी भी ठंडक हो बर्फ़ हो
अंधेरा हो
एक आदमी को गर्माने भर के लिए एक बार
तो होगा ही काफ़ी
अब एक लपट की तलाश है
कोयले के इस छोटे से गोदाम के लिए।