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"पारदर्शी नील जल में / नामवर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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पारदर्शी नील जल में सिहरते शैवाल
 
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चाँद था, हम थे, हिला तुमने दिया भर ताल
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क्या पता था, किन्तु, प्यासे को मिलेंगे आज
 
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दूर ओठों से, दृगों में संपुटित दो नाल ।
क्या पता था, किंतु, प्यासे को मिलेंगे आज
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दूर ओठों से, दृगों में संपुटित दो नाल।
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13:42, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

पारदर्शी नील जल में सिहरते शैवाल
चाँद था, हम थे, हिला तुमने दिया भर ताल
क्या पता था, किन्तु, प्यासे को मिलेंगे आज
दूर ओठों से, दृगों में संपुटित दो नाल ।