भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार= नामवर सिंह
}}
{{KKCatNavgeet}}<poem>
विजन गिरीपथ पर चटखती पत्तियों का लास
 
हृदय में निर्जल नदी के पत्थरों का हास
'लौट आ, घर लौट' गेही की कहीं आवाज़
 भींगते से वस्त्र शायद छू गया वातास।वातास ।</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,163
edits