भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं नहीं जानती की तुम जीवित हो या ... / आन्ना अख़्मातवा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 25: पंक्ति 25:
 
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : गौतम कश्यप'''
 
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : गौतम कश्यप'''
 
......................................................................
 
......................................................................
'''[[त्यस्ती ठानेछौ तिमीले मलाई /अन्ना आख्मातोभा / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ]]'''
+
'''[[थाह छैन, तिमी ज्यूँदै छौ या मरिसक्यौ / अन्ना आख्मातोभा / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ]]'''
  
  
 
</poem>
 
</poem>

14:16, 20 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

मैं नहीं जानती कि तुम जीवित हो या मर गए
इस धरा पर, क्या तुम्हें खोजा जा सकता है ?
अथवा सिर्फ शाम की धुँधली छटा में

शोक सन्तप्त होकर याद करके
सब कुछ तुम्हारे लिए ; रोज़ की प्रार्थना,
गर्म रात्रि की अकुलाहट,
मेरी कविताओं की सफ़ेद उड़ान,
और मेरी आँखों के नीले अंगारे ...

मेरा कोई अंतरंग नहीं था,
नहीं सताया किसी ने मुझे इस तरह,
ऐसा भी कोई नहीं, जिसने मुझे धोखा दिया,
ऐसा भी नहीं, जिसने करीब आ कर भुला दिया मुझे ...

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : गौतम कश्यप
......................................................................
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ