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"क्या जानूं मैं / अर्चना कुमारी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | एक रात के गहरे पहलू में | |
− | + | एक मासूम कली का मुस्काना | |
− | कि | + | कि खींच के आंचल का कोना |
− | + | जोर जोर हंसते जाना | |
− | + | या जानोगे दुनिया वाले | |
− | + | फिर से बचा बन जाना | |
− | + | कि उम्र की ऊंची चौखट पर | |
− | + | भूल गये बचपन | |
− | + | कोरे कोरे सावन की | |
− | + | हरी चूडिय़ां | |
− | + | भरे जेठ की पहली बूंद | |
− | + | सौंधी धरती | |
− | + | कोयल कूके बाग-बाग...सुर मीठे | |
− | + | नयी नवेली दुल्हनियां | |
− | + | पायल की छनछन | |
− | + | कौन जाने...किस विधि से रीझते प्रीत नयन | |
− | + | कैसे बांधू चंचल मन | |
− | + | उतान तरंगों के राजा | |
− | + | कैसे बिंधूं मन चितवन | |
− | + | हुं सजल चपल अल्हड़ वन्या | |
− | + | सीधी सी भोली कन्या | |
− | + | या जानू कैसे मान धरूं | |
− | + | न जानूं कैसे प्रिय कहूं! | |
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16:41, 27 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
एक रात के गहरे पहलू में
एक मासूम कली का मुस्काना
कि खींच के आंचल का कोना
जोर जोर हंसते जाना
या जानोगे दुनिया वाले
फिर से बचा बन जाना
कि उम्र की ऊंची चौखट पर
भूल गये बचपन
कोरे कोरे सावन की
हरी चूडिय़ां
भरे जेठ की पहली बूंद
सौंधी धरती
कोयल कूके बाग-बाग...सुर मीठे
नयी नवेली दुल्हनियां
पायल की छनछन
कौन जाने...किस विधि से रीझते प्रीत नयन
कैसे बांधू चंचल मन
उतान तरंगों के राजा
कैसे बिंधूं मन चितवन
हुं सजल चपल अल्हड़ वन्या
सीधी सी भोली कन्या
या जानू कैसे मान धरूं
न जानूं कैसे प्रिय कहूं!