भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वियतनाम / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालसिंह दिल |अनुवादक=सत्यपाल सहग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=लालसिंह दिल | |रचनाकार=लालसिंह दिल | ||
|अनुवादक=सत्यपाल सहगल | |अनुवादक=सत्यपाल सहगल | ||
− | |संग्रह=प्रतिनिधि कविताएँ / | + | |संग्रह=प्रतिनिधि कविताएँ / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल |
}} | }} | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} |
15:28, 12 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण
यह झूठ है
कि वहाँ स्कूल नहीं खुलते।
यह झूठ है
कि वहाँ के लोगों में दहशत है।
वे जो डर कर चलते
तो वहाँ एक भी आदमी कैसे होता?
वहाँ मुश्किल से चलने वाले बूढ़े
गाँवों से हटकर चलते हैं
जो गिरते हुए बमों पर
ऐसे मारते हैं लाठी
कि बम वापिस हो
दुश्मन के कैम्पों में जा फटता है
गाँधियों को इतनी छूट नहीं है वहाँ
कि भगत सिंह की फाँसी पर मश्विरे के लिए
वे दुश्मनों के कैम्पों में चले जाएँ।