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"जीवन / अनिरुद्ध प्रसाद विमल" के अवतरणों में अंतर

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अपनी खुशी न देखकर
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कोई कहता-
जो देखे, जन-जन की खुशी
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जीवन है फूलों की तरह
जीवन तो वही जीवन है !
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खिलता है, मुरझाता है
जले शत बार
+
झड़ जाता है।
पर शिकायत न आये अधरों पर,
+
कोई कहता है-
हँसता रहे
+
जीवन है बच्चों की तरह
जीवन तो वही जीवन है
+
गिरता है, उठ जाता है
हृदय में पीड़ा को दबाये
+
रोता है, फिर हँसता है।
आकांक्षाओं को छुपाये,
+
कोई कहता है-
जो जले
+
जीवन है मेघों की तरह
जीवन तो वही जीवन है
+
झरता है, सुख पाता है।
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कोई कहता है-
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जीवन है सूरज की तरह
 +
प्रीत में जलता है, अपनी सजनी से मिलने को
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विरह् पंथ पर चलता है, तपता है।
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कोई कहता -
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जीवन तो है सरिता की तरह
 +
मस्ती में गाता है,
 +
संगीत उड़ाता है
 +
फिर सागर में मिलकर, वह मृत्यु को सुखद बनाता है।
 +
पर मेरी नजरों में
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यह जीवन तो, केवल समझौता है
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बस समझौता है।
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एक पल चूके तो जीवन बस एक सरोता है।
 
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19:04, 5 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

कोई कहता-
जीवन है फूलों की तरह
खिलता है, मुरझाता है
झड़ जाता है।
कोई कहता है-
जीवन है बच्चों की तरह
गिरता है, उठ जाता है
रोता है, फिर हँसता है।
कोई कहता है-
जीवन है मेघों की तरह
झरता है, सुख पाता है।
कोई कहता है-
जीवन है सूरज की तरह
प्रीत में जलता है, अपनी सजनी से मिलने को
विरह् पंथ पर चलता है, तपता है।
कोई कहता -
जीवन तो है सरिता की तरह
मस्ती में गाता है,
संगीत उड़ाता है
फिर सागर में मिलकर, वह मृत्यु को सुखद बनाता है।
पर मेरी नजरों में
यह जीवन तो, केवल समझौता है
बस समझौता है।
एक पल चूके तो जीवन बस एक सरोता है।