भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भविष्यवाणी / रामनरेश पाठक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामनरेश पाठक |अनुवादक= |संग्रह=मै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
एक अनाम असंज्ञेय मनःस्थिति | एक अनाम असंज्ञेय मनःस्थिति | ||
− | कुरेद रही है | + | कुरेद रही है घटनाएँ |
खंडित जिजीविषा के नाम पर | खंडित जिजीविषा के नाम पर | ||
16:17, 22 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
एक नीली वियद् गंगा
कार्यों और कारणों
समस्यायों और परिणामों के
समतोल पर अवस्थित है
एक अनाम असंज्ञेय मनःस्थिति
कुरेद रही है घटनाएँ
खंडित जिजीविषा के नाम पर
एक जिज्ञासा मुद्रित हो जाती है
समाचार पत्रों के शीर्ष पर और
करती रहती है भविष्यवाणियाँ
दो अरब चौंतीस करोड़ सत्तर लाख पचास हज़ार नौ सौ तीस वर्षों के निमित्त