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− | + | मातलोॅ पछियां झकझोरै छै | |
− | + | झूमैं छै शराबी रं आमोॅ के ठार। | |
− | + | गमकै छै चंदन लहकै छै कचनार | |
− | + | सरंङोॅ नी बरसै छै, लागलोॅ छै सरंङोॅ मेॅ आगिन। | |
− | + | ई मेघराज छै पछियां हवा पेॅ सबार। | |
− | + | पछियाँ बतास बहै, झकझोरै छै डार। | |
− | + | पछिया बतासोॅ सेॅ उखड़ी गेलै | |
− | + | बड़का-बड़का गाछ। | |
− | + | धरती पर गिरी गेलै | |
− | + | सोन-चिरैया के घोंसला | |
− | + | पक्षी-चिड़ैया कानै मंडरावै | |
− | + | विनाश रोॅ ई सरदैलोॅ छाया। | |
− | + | पसरी गेलै चारों ओर | |
− | + | एक सन्नाटा-खामोश होय गेलै बातावरण। | |
− | + | आरो यही विनाश रोॅ कोखी सेॅ- | |
− | + | जनमै छै एक महाकाव्य। | |
− | + | आबै बाला हर पल | |
− | + | ई महाकाव्य मेॅ समाय जाय छै | |
− | + | जिनगी रोॅ एक-एक पल। | |
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17:49, 2 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
मातलोॅ पछियां झकझोरै छै
झूमैं छै शराबी रं आमोॅ के ठार।
गमकै छै चंदन लहकै छै कचनार
सरंङोॅ नी बरसै छै, लागलोॅ छै सरंङोॅ मेॅ आगिन।
ई मेघराज छै पछियां हवा पेॅ सबार।
पछियाँ बतास बहै, झकझोरै छै डार।
पछिया बतासोॅ सेॅ उखड़ी गेलै
बड़का-बड़का गाछ।
धरती पर गिरी गेलै
सोन-चिरैया के घोंसला
पक्षी-चिड़ैया कानै मंडरावै
विनाश रोॅ ई सरदैलोॅ छाया।
पसरी गेलै चारों ओर
एक सन्नाटा-खामोश होय गेलै बातावरण।
आरो यही विनाश रोॅ कोखी सेॅ-
जनमै छै एक महाकाव्य।
आबै बाला हर पल
ई महाकाव्य मेॅ समाय जाय छै
जिनगी रोॅ एक-एक पल।