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+ | बचाकर नज़र | ||
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+ | मन-आँगन कोई | ||
+ | गुलाल अभी, | ||
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+ | रह-रह करके | ||
+ | उनका ख्याल अभी | ||
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+ | तुम दीपक | ||
+ | मन के, जीवन के | ||
+ | तुम हो मेरी आशा | ||
+ | तुम न होते | ||
+ | लिख न पाते हम | ||
+ | जन्मों की परिभाषा। | ||
+ | 25 | ||
+ | दीपक बन | ||
+ | राह दिखाते जाना | ||
+ | बाधाओं में मुस्काना, | ||
+ | पथ में मिलें | ||
+ | उनको गिराकर | ||
+ | आगे न बढ़ जाना। | ||
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14:16, 12 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
21
मिलता नहीं,
कभी प्यासे को पानी,
आहत को दिलासा,
अधूरी रही
जीवन-परिभाषा,
तट कब थे मिले!
22
पास आ बैठे
कुछ देर ठहरे
छल कर गए थे,
पथ में मिले
बचाकर नज़र
चुपचाप निकले।
23
बिखेर गया
मन-आँगन कोई
गुलाल अभी,
तड़पा गया
रह-रह करके
उनका ख्याल अभी
24
तुम दीपक
मन के, जीवन के
तुम हो मेरी आशा
तुम न होते
लिख न पाते हम
जन्मों की परिभाषा।
25
दीपक बन
राह दिखाते जाना
बाधाओं में मुस्काना,
पथ में मिलें
उनको गिराकर
आगे न बढ़ जाना।