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"शिशु गीत / भाग 2 / ज्योत्स्ना शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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दाँतों की पंक्ति चमकी है॥
 
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और बनाओ तितली, गैया।
 
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आई होली रंग कमाल,
 
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मुँह रँगा है पीला-काला,
 
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टिक-टिक करती चले घड़ी
 
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11:59, 13 फ़रवरी 2018 का अवतरण


9

बड़ी सुहानी धूप खिली है

किरन परी भी आ धमकी है

मंजन करके सूरज आया

दाँतों की पंक्ति चमकी है॥

14

मेरी पेंसिल प्यारी-प्यारी

बातें करती कितनी न्यारी

कहे ठीक से पकड़ो भैया

और बनाओ तितली, गैया।

15

देखो पुस्तक कितनी अच्छी

मुझे बताए बातें सच्ची

दुनिया भर की सैर कराए

फूल-फलों से जी ललचाए.

16

आई होली रंग कमाल,

निकली टोली लिए गुलाल।

पाँव छुए फिर सभी बड़ों के;

किया साथियों संग धमाल॥

17

मुँह रँगा है पीला-काला,

ले पिचकारी रंग जब डाला।

झूठ-मूठ अम्मा गुस्साईं;

खिल-खिल करती भागी बाला॥

18

सुबह सुहानी कितनी अच्छी

झटपट सीखें बातें सच्ची

पढ़ें लिखें और हों गुणवान

अपना भारत रहे महान।

19

जब से देखो आया जाड़ा

बढ़ा दिया सूरज ने भाड़ा

थोड़ी–थोड़ी धूप दिखाता

झट से कोहरे में छिप जाता।

20

हूँ कितनी चिंता का मारा

जाने क्या है नाम हमारा

दादा कहते सुन शैतान

दादी कहतीं नैन का तारा।

21

टिक-टिक करती चले घड़ी

कहीं न जाए वहीं खड़ी

ठीक-ठीक जब समय बताए

अच्छी सबको लगे बड़ी।